India In Chaos

माननीय न्यायपालिका से मेरी सबसे विनम्र और ईमानदार क्षमा याचना


मैं कुछ मुद्दों पर अपनी धृष्टता के लिए माननीय न्यायपालिका के सक्षम नम्रता और सम्मान से झुकता हूँ और माफी मांगता हूँ। मेरा उद्देष्य पूरी तरह से तर्कसंगत सही या गलत मुद्दों को दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत करना था। मुझे अपनी विद्धान न्यायपालिका में एक पूरा विश्वास है और मेरी पिछली तीन किताबें इसका साक्ष्य हैं। प्यार और सम्मान करने वाले बच्चे कभी-कभी, अपने माता-पिता की किन्हीं खास गलतियों की तरफ इशारा कर सकते हैं ताकि उन्हें समय रहते ठीक किया जा सके और पूरे परिवार को बचाया जा सके।

जागरूकता के लिए मेरे प्रयास
गलत हो रहे कामों को सही करने के प्रयास में, मैंने विभिन्न अवसरों पर माननीय न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और विधिवेत्ताओं को अपनी विभिन्न पुस्तकों और संगोष्ठियों के माध्यम से संविधान की अवज्ञा के बारे में बताने के लिए अपना पूरा प्रयास किया। इस तरह के कुछ विचार-विमर्ष केवल संदर्भ के लिए नीचे दिए गए हैं;

- इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट (सितंबर 2014) में एक सेमिनार में माननीय जस्टिस टी.एस. ठाकुर, पूर्व सीजेआई मुख्य अतिथि थे, जब उन्होंने कहा, ‘श्री अग्रवाल ने आज हमें बताया कि हमने अभी तक क्या खोया है और हम क्या बचा सकते हैं।

- एक अन्य सेमिनार में, माननीय श्री एस.वाई. कुरैषी (पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त) (2013) और डॉ. महेष शर्मा जो अब माननीय केंद्रीय मंत्री हैं (अगस्त 2014) मुख्य अतिथि थे। डॉ. महेष शर्मा ने कहा, ‘यह किताब सभी की आंखें खोलने वाली है और समय आ गया है कि हम संविधान को लागू करें।’

- मेरे सेमिनारों में से एक (सितंबर 2014) में माननीय श्री राम जेठमलानी मुख्य अतिथि थे, जब उन्होंने कहा, ‘श्री अग्रवाल भावी भारत के वास्तुकार हैं।’

समृद्ध राष्ट्र के निर्माण व जनता को प्रसन्न एवं गर्वपूर्ण बनाने के लिए, मैंने इस पुस्तक के भाग-3 में आवश्यक उपाय व दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए हैं। इस योजनाओं व अध्याय 8.3 में दिए गए सिटी सेंटर्स की अवधारणा अपनाने से न केवल हम अपने नागरिकों को स्वाभाविक रूप से स्वतंत्रता व गरिमा प्रदान कर पाएंगे बल्कि अपनी मौजूदा व भावी पीढ़ियों के लिए, केवल 15-20 वर्षों में अपने देश कमेरी पुस्तक, ‘इंडिया इन शैम्बल्स, ऑनली ज्यूडिषियरी कैन सेव अस’ अपनी तरह का दुर्लभ शोध कार्य है। बहुत प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों द्वारा कुछ समीक्षाओं में शानदार टिप्पणियां की हैं,ो सर्वाधिक समृद्ध व शक्तिशाली राष्ट्रों की श्रेणी से भी ला सकेंगे।

- माननीय श्री वेंकटचलैया पूर्व सीजेआई ने कहा है, ‘श्री अग्रवाल एक सच्चे देषभक्त हैं’।

- माननीय श्री जेठमलानी ने सामान्य विषयों या कानून के सभी छात्रों से पुस्तक पढ़ने की सिफारिष की है, जिसके हर अध्याय में उन्हें भारत के परिपक्व नागरिक बनाने के लिए उपयोगी ज्ञान मिलेगा।

- प्रोफेसर डॉ. महेंद्र पाल सिंह, चांसलर, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा - ‘पुस्तक का लाभ उठाने के लिए इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए।’